"गुरु महिमा" – Yaksh Prashn
Home » “गुरु महिमा”

“गुरु महिमा”

Share

प्रथम गुरु मात-पिता को, महिमा बड़ी महान है,

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

दीन्हों काया सरूप शरीरा, जगत में पहचान है ।

बिन विद्या नर पशु सामना, पावक बिन प्राण है,

गुरु महिमा पड़ी जीव पर, धन्य हुई यह जान है ।

 

अक्षर ज्ञान की तपिश से, काया कर दी निर्मल,

साक्षर कर ससक्त बना, कर दिए समर्थ सबल ।

गुरु ज्ञान बिन जीवन थोथा, साहिल बिन है नौका,

विद्यादान कर मनुष्य बनाया, जीनेका मिला मौका ।

 

गुरु प्रताप से ईश को चीन्हों, मिला प्रभु नाम,

कृपा गुरु की मिली जब से, मिला जीवन दाम ।

ज्ञान ध्यान संस्कार और जगत का पुरुषार्थ,   

ये गुण जीवन में है दीन्हों चला दिया परमार्थ ।

 

मात-पिता से ऊपजी काया, गुरु से मिला ज्ञान,

कुटुंब कबीला से प्यार मिला, ज्ञान से सम्मान ।

गुरुवर मिले नर रूप में, ईश मिले गुरुवर रूप,

गुरु प्रताप से आनंद मिले, जीवन स्वर्ग स्वरूप ।

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

अपनी मौलिक रचना अथवा लेख प्रकाशित करने के लिये हमे मेल करे – yprashn@gmail.com