Shyam Kumar Kolare: "नजरिया अपना- अपना" – Yaksh Prashn
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Shyam Kumar Kolare: “नजरिया अपना- अपना”

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Shyam Kumar Kolare : कविता- “नजरिया अपना-अपना”

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सूरदास निकालते है खामी मेरे चेहरे में,
बेवफा को शिकायत है कि मैं दगा देता हूँ l

कायर खोजते है परिश्रम मेरे जीवन में,
शकी को शिकायत है कि मैं गलत देखता हूँ l

लंगड़ा नुक्श निकालता है मेरी चाल में,
लूला को शिकायत है मैं खराब चलता हूँ l

मंदबुद्धि निकलते है कमी मेरी ज्ञान में,
काना को शिकायत है मैं खराब सुनता हूँ l

सुन्दरता रखता हूँ हमेशा व्यवहार में,
सुशील बनने के नुस्के औरों को सीखाता हूँ l

व्यवहार कुशलता झलकता स्वाभाव में,
विनम्र होने की खुशबू सबको बाटता हूँ l

साधारण व्यवहार और बहादुरी स्वाभाव में,
कर्तव्यनिष्ठ होने का जस्वा रखता हूँ l

सदा मिठास बनी रहे मेरी वाणी में,
सही आदमी बनने की कोशिश करता हूँ l

Shyam Kumar Kolare

Shyam Kumar Kolare

सामाजिक कार्यकर्ता, एवं स्वतंत्र लेखक

छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश

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