
कब तक अबला बनकर
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!धरती का बोझ उठाओगी,
कब तक यूँ सहमे- सहमे
अपना दर्द छुपाओगी,
बाल रूप से वृद्धा तक
रही किसी की छाया में,
अब समय वो आया है
अपने को सिद्ध कर पाओगी l
रानी लक्ष्मी दुर्गावती वीर
नारी की वंशज हो तुम
शक्ति रूप दिखाओगी,
सक्षम होकर दुनिया में
चावला बनकर ऊँची
उड़ान पर जाओगी l
मत देखो पीछे मुड़कर
क्या खोया क्या पाया है,
अपने दम पर सक्षम होकर
सूरज का दमक पायोगी,
हे भारत की वीरांगनाएँ
अपनी शक्ति को पहचानो l
ला दो तूफान अपनी शक्ति का
तोड़ दो बेड़ियाँ ये जंग लगी
देश हित में आगे आओ,
घर से अपने कदम बढ़ाओ
एक समय वो आएगा
नारी शक्ति से थर्रायेगा,
नारी होगी पूज्य समान
होगा नारी का सम्मान l
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
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