ईश्वर की अनमोल कृति है
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!नाम धरा है नारी
सर्वगुणों से पूरित करके
धरती पर उतारी l
ममता त्याग तपस्या का
सजीव रूप दे डारी
जिस घर मान हो नारी का
वो घर सदा रहे उजियारी l
अस्तित्व से है जीवंत जीवन
न होने पर सूना
पैर पड़े जब दर पर इसके
समृद्धि हुई है चौना l
श्रृंगार सोभना, ममता पूरित
परहितकारी है गुण समायें
अपना जीवन परे रखे ये
दूसरे का घर बसायें l
शब्द नहीं श्या मुखपटल में
सरस्वती निर्बल हो जाए
धन की देवी, अन्नपूर्णा कर है
गुणों से कुल का नाम बढ़ाए l
जिस घर सम्मान नारी का
उस घर शांति और खुशहाली
दुःख न छू सके वहाँ पर
होवे नित्य होली और दिवाली
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
