कविता - "जयती जय भारत माता" – Yaksh Prashn
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कविता – “जयती जय भारत माता”

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हमें फक्र है देश पर अपना

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यहाँ हमारा जन्म हुआ

इस देश का गुणगान गाये

मधुर मनोहर गगन सुआ l

अनेक रंग में विविध ढ़ंग में

मेल-मिलाव रहते संग में

धर्म- संस्कृति मेल निराला

राम-रहीम रहे एक ठाव में l

सब देश में देश निराला

प्रेम सौहार्द है चाम हमारा

देश के खातिर मर मिटने को

सीने में जस्बात हमारा l

हर रंग में हर बोली में

देश की विभिन्न हर टोली में

हर संस्कृति हर धर्म में

देश सेवा है हर एक मन में l

नाज हमारे वीर सैनिक पर

सीमा पर है आँख गडाये

देश के खातिर लहू देने को

क्षण भर में तैयार हो जाए l

बड़ी जुगत से पाई आजादी

रखना है हरदम ये ध्यान

तिरंगा मिला है लहू सीचकर

रखना सब इसका सम्मान l

जस्बात कभी नं कम होने पाए

हमसब जहन में लें उतार  

देश के खतिर ये न किये तो

इसका ऋण कैसे देंगे उतार l

जयती जय भारत माता

जयती जय जय भाग्य विधाता

तिरंगा शान में लहराएगा हरदम

सुरक्षा में चाहे निकल जाए दम l

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)