हमें फक्र है देश पर अपना
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!यहाँ हमारा जन्म हुआ
इस देश का गुणगान गाये
मधुर मनोहर गगन सुआ l
अनेक रंग में विविध ढ़ंग में
मेल-मिलाव रहते संग में
धर्म- संस्कृति मेल निराला
राम-रहीम रहे एक ठाव में l
सब देश में देश निराला
प्रेम सौहार्द है चाम हमारा
देश के खातिर मर मिटने को
सीने में जस्बात हमारा l
हर रंग में हर बोली में
देश की विभिन्न हर टोली में
हर संस्कृति हर धर्म में
देश सेवा है हर एक मन में l
नाज हमारे वीर सैनिक पर
सीमा पर है आँख गडाये
देश के खातिर लहू देने को
क्षण भर में तैयार हो जाए l
बड़ी जुगत से पाई आजादी
रखना है हरदम ये ध्यान
तिरंगा मिला है लहू सीचकर
रखना सब इसका सम्मान l
जस्बात कभी नं कम होने पाए
हमसब जहन में लें उतार
देश के खतिर ये न किये तो
इसका ऋण कैसे देंगे उतार l
जयती जय भारत माता
जयती जय जय भाग्य विधाता
तिरंगा शान में लहराएगा हरदम
सुरक्षा में चाहे निकल जाए दम l
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
