सावन आया पहन हरियाली
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!धूम मचाये है बदरी काली
धरती ने पहना है हरा श्रृंगार
नदियों ने पहना है नीर रुपी हार ।
सावन की फुहारें मंद-मंद बरसना
भोरों का जैसे फूलों पे सरकना
मदहोश घटा अम्बर बिखारे
बादलों से दिनकर करें है इशारे ।
रंग-बिरंगी सुन्दरता फूलों में आई
चारो तरफ है मदहोशी छाई
धरती अपने है यौवन में आई
खेत खलिहान में सुन्दरता छाई ।
वन उपवन में रौनक की आहटे
बदल देख मयूर उमंग में है नाचे
साथी संग वालाएँ झूले में इठलाये ।
सावन महीना सबके मन भाये
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
कविता – “सावन की बहारें”
