कविता - "राखी" – Yaksh Prashn
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कविता – “राखी”

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भाई-बहिन के प्यार स्नेह का

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प्रेम समरसता का अलंकर है राखी

आँखों में दुलार, कलाई सजा प्यार

मन में उमड़ती प्रेम तरंग है राखी ।

सारा जीवन अटूट रिश्तों की डोर

विश्वास- सम्मान का नाम है राखी

धागे बंध जाए कलाई पर भाई के

बहिन के लिए अटूट साँस है राखी ।

भाई के लिए बहिन के मन में

बहिन-भाई का मान है राखी

एक सुलझे हुए रिश्तों में

ज़िन्दगी भर का साथ है राखी ।

रिश्तों का बंधन भाल पर चन्दन

थाली में स्नेह की मिठास है राखी

एक सच्चा साथी पक्का मित्र सा

होटों पर मुस्कान का नाम है राखी ।

सावन की रिमझिम वारिश सी

मन में ठंडक सा अहसास है राखी

इस बंधन से बंधा है भाई

बहिन-भाई की शान है राखी ।

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)