कविता - "कोविड के बाद विद्यालय जीवन" – Yaksh Prashn
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कविता – “कोविड के बाद विद्यालय जीवन”

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दुबके पाँव, कोरोना आया

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बच्चों को है, खूब सताया

बन्द हुआ, हमारा स्कूल

मुरझा गए, बागों के फूल।

बन्द हुई , स्कूल पढ़ाई

टीचर की है, याद सताई

सहपाठी सब, हो गए दूर

घर मे रहने, को मजबूर ।

नन्ही गुड़िया, समझ न पाये

अब वो क्यो, स्कूल न जाये

घर मे हो गए, बच्चे बोर

थम गया, बच्चों का शोर।।

शुरू हुई ,ऑनलाइन पढ़ाई

कुछ समझे, कुछ समझ न आई

पुस्तक-कापी, हो हुई दूर

मोबाइल से, पढ़ने को मजबूर।

गर स्कूल, शुरू हो जाते

कितने मजे, हमे है आते

दोस्तों के साथ मिलकर

स्कूल में है, धूम मचाते।

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)