गजल - "मेरे इंतजार में" – Yaksh Prashn % – Shyam Kumar Kolare
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गजल – “मेरे इंतजार में”

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सूना पड़ा है आंगन मेरा, बस मेरे इंतजार में

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बूढ़ी आंखें ढूंढ रही है, मेरे आने की आस में

ऊंची करंजी डाल झुकाए, खड़ी है मेरी आस में..।

पगडंडी भी गांव की मेरी,चलती थी मेरे साथ में

सूनी पड़ी है वो पगडंडी, बस मेरे इंतजार में..।

अमराई की सान्हें निहारे, खट्टी मीठी स्वाद में

दौड़ा करते सांझ सवेरे, सच्चे दोस्तों के साथ में

सूना हो गया सांझ-सवेरा, बस मेरे इंतजार में..।

खपरैल वाला पुराना घर, मिट्टी की दीवाल में

बसी हुई है पुरानी यादें, घर आंगन परिवार में

सूना हो गया सुन्दर आंगन, बस मेरे इंतजार में..।

गांव का सरकारी स्कूल, सीधी-सादी मस्त पढ़ाई  

मासब की सख्त सीख, इतनी दूर मुझे ले आई

राह निहारे स्कूल की यादें, बस मेरे इंतजार में..।

मेरे गाँव सौंधी खुशबू, चौपाल खेत खलियान में

दादी की वो मस्त कहानी, कहानी के राजा-रानी  

पुरानी यादे राह निहारे, बस मेरे इंतजार में..।

सुना पड़ा है आंगन मेरा, बस मेरे इंतजार में.. ।।

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
#ShyamKumarKolare