कविता - "प्यारे बापू गाँधी" – Yaksh Prashn
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कविता – “प्यारे बापू गाँधी”

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आजादी का परवाना था, खादी ओढे रहता था

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सत्य अहिंसा के दम पर, अंग्रेजो को मार खदेड़ा था

अडिक और निर्भीक जैसे  चट्टानों पहाड़ सा

हिला न सके कोई भी, ऐसा मजबूत ठाव था ।

सादा जीवन उच्च विचार, धनी मन के बापू थे

एक आवाज में चल दिए सब, ऐसे मेरे बापू थे

स्वदेशी सन्देश बताया, उपयोग हमें यह सिखाया था

परतंत्रता क विवशता में, जकड़ा हुआ था भारत देश ।

गुलामी का जख्म दिया था जब गोरे अंग्रजों ने

सत्य की लाठी घोर चलाई, रण को तीजे बापू ने

सत्य अहिंसा बापू तेरे, बड़े गंभीर अस्त्र थे

टिक न सके कोई भी आगे, ऐसे बापू के शस्त्र थे ।

आजादी की अलख जगाने, साधारण एक वेश में

जीवन सारा लगा दिया, परहित के सन्देश में

थर-थर कापें इनसे फिरंगी, इनके लिए तो काल थे

दुबले-पतले तेज भाल पर, देश की बड़ी शान थे ।

इनके बन्दर तीन महान, बड़े प्रसिद्द बापू के गान

आदर्शता में नाम है ऊँचा, बापू ऐसे किये काम थे l 

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
#ShyamKumarKolare