आजादी का परवाना था, खादी ओढे रहता था
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सत्य अहिंसा के दम पर, अंग्रेजो को मार खदेड़ा था
अडिक और निर्भीक जैसे चट्टानों पहाड़ सा
हिला न सके कोई भी, ऐसा मजबूत ठाव था ।
सादा जीवन उच्च विचार, धनी मन के बापू थे
एक आवाज में चल दिए सब, ऐसे मेरे बापू थे
स्वदेशी सन्देश बताया, उपयोग हमें यह सिखाया था
परतंत्रता क विवशता में, जकड़ा हुआ था भारत देश ।
गुलामी का जख्म दिया था जब गोरे अंग्रजों ने
सत्य की लाठी घोर चलाई, रण को तीजे बापू ने
सत्य अहिंसा बापू तेरे, बड़े गंभीर अस्त्र थे
टिक न सके कोई भी आगे, ऐसे बापू के शस्त्र थे ।
आजादी की अलख जगाने, साधारण एक वेश में
जीवन सारा लगा दिया, परहित के सन्देश में
थर-थर कापें इनसे फिरंगी, इनके लिए तो काल थे
दुबले-पतले तेज भाल पर, देश की बड़ी शान थे ।
इनके बन्दर तीन महान, बड़े प्रसिद्द बापू के गान
आदर्शता में नाम है ऊँचा, बापू ऐसे किये काम थे l
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
#ShyamKumarKolare
