"इंसानियत" – Yaksh Prashn – Shyam Kumar Kolare
Home » “इंसानियत”

“इंसानियत”

Share

किसी अंजान की निःस्वार्थ

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

मदद करना

और उससे कुछ भी न चाहना,

इंसानियत होती है ।

दुःख तकलीफ जिल्म परेशानी देना

शैतानो का काम होता है

देना हो तो हिम्मत दो जस्बा दो

मदद दो, सहायता दो !

इससे इंसानियत दिखती है

मर्द औरत को आदेश देता है

अधिकारी कर्मचारिओं को

मालिक मजदूर को आदेश देता है ।

आदेश का बड़ा चक्कर है यारो

यदि देना है तो परामर्श दें

विनम्रता दें, सहमती दें ।

आदर और नम्रता से

बड़े-बड़े कम बन जाते है

और अहंकार से

बने हुए काम भी बिगड़ जाते है ।

देख इंसानियत की कीमत

ये उसे ख़ास बना देता है   

इंसानियत इंसान को

महान बना देता है ।

कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
#ShyamKumarKolare