भारतीय राजनीति और समाज सुधार के क्षेत्र में बाबू जगजीवन राम का नाम एक प्रमुख स्थान रखता है। उनका जीवन संघर्ष, सामाजिक न्याय और दलित उत्थान के लिए समर्पित रहा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!एक ऐसे युग में जब भारत में जातिगत भेदभाव और छुआछूत की प्रथा व्याप्त थी, जगजीवन राम ने न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में उच्च मुकाम हासिल किया, बल्कि समाज के पिछड़े और दलित वर्गों के लिए न्याय और समानता की लड़ाई लड़ी।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भूमिका निभाई और आजाद भारत की सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
परिचय
जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार के आरा जिले के चंदवा गाँव में एक दलित परिवार में हुआ था।
उनके पिता का नाम शोभी राम था, जो सेना में नौकरी करते थे। उनकी माता वासुदेवी एक धार्मिक महिला थीं।
जगजीवन राम का बचपन गरीबी और सामाजिक भेदभाव के बीच बीता, लेकिन उन्होंने शिक्षा के महत्व को पहचाना और आगे बढ़ने का संकल्प लिया।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
जगजीवन राम ने प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से प्राप्त की। उस समय दलित बच्चों के साथ स्कूलों में भेदभाव किया जाता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कलकत्ता (अब कोलकाता) में रहकर उन्होंने समाज सेवा और राजनीति में रुचि ली।
राजनीतिक सफर
जगजीवन राम का राजनीतिक जीवन बहुत ही गतिशील और प्रेरणादायक रहा। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया और जल्द ही अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
जगजीवन राम ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन (1920), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय भाग लिया।
उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष जारी रखा।
आज़ाद भारत में भूमिका
1946 में, जब अंतरिम सरकार बनी, तो जगजीवन राम को श्रम मंत्री बनाया गया।
आजादी के बाद वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और उन्होंने संचार, रेलवे, परिवहन और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
1977 में, जब कांग्रेस की हार हुई, तो जगजीवन राम ने जनता पार्टी का समर्थन किया और मोरारजी देसाई की सरकार में उप-प्रधानमंत्री बने।
समाज सुधार में योगदान
जगजीवन राम ने हमेशा दलितों और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए काम किया। उन्होंने अछूत प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और शिक्षा तथा रोजगार में समान अवसरों की वकालत की।
हरिजन सेवक संघ से जुड़ाव
वे हरिजन सेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे और गांधीजी के साथ मिलकर दलितों के अधिकारों के लिए काम किया।
शिक्षा व रोजगार के लिए प्रयास
उन्होंने दलित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू कीं और सरकारी नौकरियों में आरक्षण को बढ़ावा दिया।
जगजीवन राम का जीवन संघर्ष, साहस और समर्पण की मिसाल है। उन्होंने न केवल दलित समाज के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज की नींव रखी। उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।