असली नायक हैं हमारे शिक्षक साथी
(एक नई शिक्षा क्रांति की ओर बढ़ते कदम)
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!शिक्षा- कोविड के बाद के दौर में भारत के सरकारी स्कूलों ने शिक्षा की गुणवत्ता बहाल करने में जो सफलता हासिल की है, उसके पीछे असली नायक हैं—हमारे शिक्षक।
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER-2024) के नतीजे इस बात का सबूत हैं कि शिक्षकों के अथक प्रयासों ने न केवल बच्चों को स्कूल लौटाया, बल्कि उनकी पढ़ाई के स्तर को भी सुधारा।
ASER 2024: राष्ट्रीय स्तर पर उम्मीद की किरण
सर्वेक्षण का दायरा: 605 जिलों के 17,997 गाँवों में 6.5 लाख से अधिक बच्चों का आकलन।
मुख्य निष्कर्ष:
- नामांकन दर: 6-14 आयु वर्ग में 98% नामांकन, 3-4 वर्ष के 80% बच्चे प्री-स्कूल से जुड़े।
शैक्षणिक सुधार:
- कक्षा III के 27.1% बच्चे अब कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं (2022 में 20.5%)।
- कक्षा V के 48.8% बच्चों में पढ़ने की क्षमता (2022 में 42.8%)।
- गणित में कक्षा III के 33.7% और कक्षा V के 30.7% बच्चे क्रमशः घटाव-भाग करने में सक्षम।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और निपुण भारत: लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम
- निपुण भारत मिशन (2021): 2026-27 तक 3-8 वर्ष के सभी बच्चों को भाषा और गणित में दक्ष बनाने का लक्ष्य।
- ASER 2024 संकेतक: बुनियादी साक्षरता-संख्याकीय कौशल में हुई प्रगति इस मिशन की दिशा में एक मजबूत आधार है।
उत्तर प्रदेश: एक मिसाल के तौर पर
पढ़ने में प्रगति:
- कक्षा III: 34.4% बच्चे कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं (2022 में 24%)।
- कक्षा V: 56.5% बच्चों में पठन क्षमता।
गणित में छलांग:
- कक्षा III: 40.7% बच्चे घटाव कर सकते हैं (2022 में 29%)।
- कक्षा VII: 39.5% बच्चे भाग की समस्याएँ हल करने में सक्षम।
महामारी में शिक्षकों का योगदान: चुनौतियों को अवसर में बदलना
- घर-घर पहुँच: स्कूल बंद होने पर भी शिक्षकों ने वर्कशीट, किताबें बाँटकर पढ़ाई जारी रखी।
- रचनात्मक समाधान: मोबाइल के माध्यम से पाठ्यक्रम साझा करना, समुदाय के साथ जुड़कर बच्चों को प्रेरित करना।
- नतीजा: स्कूल खुलने के बाद बच्चों की उपस्थिति और सीखने की गति में तेजी।
आगे का रास्ता: शिक्षकों को सशक्त बनाना जरूरी
- समर्थन की जरूरत: शिक्षकों को स्वायत्तता, प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराना।
- सहयोगात्मक दृष्टिकोण: स्थानीय निकायों, अभिभावकों और एनजीओ के साथ मिलकर काम करना।
- लक्ष्य की ओर: निपुण भारत के लक्ष्य को 2027 तक हासिल करने के लिए शिक्षकों की भूमिका केंद्रीय बने।

क्या है, ASER ?
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) भारत में बच्चों की शिक्षा की स्थिति का सबसे बड़ा और प्रमुख सर्वेक्षण है, जिसे प्रथम संस्था (एक गैर-लाभकारी संगठन) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
यह सर्वेक्षण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बच्चों की बुनियादी पढ़ने-लिखने और गणित की क्षमताओं का आकलन करता है।
ASER के मुख्य उद्देश्य:
- शिक्षा की गुणवत्ता मापना: बच्चे कितना सीख रहे हैं, न कि सिर्फ स्कूल जा रहे हैं।
- साक्षरता और संख्याकीय कौशल पर ध्यान: कक्षा-स्तर के अनुसार पढ़ने-गणित की दक्षता की जाँच।
- नीति निर्माताओं को डेटा उपलब्ध कराना: सरकार और शिक्षाविदों को सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करना।
ASER कैस काम करता है ?
- व्यापक सर्वेक्षण: हर साल 6-14 आयु वर्ग के लाखों बच्चों का टेस्ट लिया जाता है।
- सरल मूल्यांकन तकनीक: बच्चों से कक्षा-1 स्तर का पाठ पढ़ने या साधारण घटाव-भाग करने को कहा जाता है।
- गाँव-गाँव तक पहुँच: स्वयंसेवक स्कूलों और घरों में जाकर डेटा एकत्र करते हैं।
ASER का महत्व:
- यह रिपोर्ट शिक्षा प्रणाली की वास्तविक तस्वीर दिखाती है, न कि सिर्फ नामांकन के आँकड़े।
- सरकारी योजनाओं (जैसे निपुण भारत, समग्र शिक्षा) की सफलता को मापने का एक मानक है।
- शिक्षकों और अभिभावकों को बच्चों की कमजोरियों को समझने में मदद करता है।
ASER 2024 की खास बातें
- इस वर्ष का सर्वे कोविड के बाद की शिक्षा व्यवस्था में हुए सुधारों पर केंद्रित था।
- सरकारी स्कूलों ने निजी स्कूलों की तुलना में तेज प्रगति दिखाई।
- उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में बुनियादी साक्षरता में उल्लेखनीय सुधार।
ASER न केवल आँकड़े पेश करता है, बल्कि यह शिक्षा के प्रति सामाजिक जवाबदेही भी बढ़ाता है।
इसके नतीजे बताते हैं कि शिक्षकों के समर्पण और स्थानीय प्रयासों से ही शिक्षा की गुणवत्ता बदली जा सकती है।
ASER 2024 के आँकड़े न केवल सुधार दिखाते हैं, बल्कि यह भी याद दिलाते हैं कि शिक्षा की बुनियाद मजबूत करने का श्रेय उन अनाम शिक्षकों को जाता है, जो रोज कक्षाओं में ज्ञान की मशाल जलाते हैं।
उन्हें साधन और सम्मान देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।