सिवनी, 17 अप्रैल 2025 – मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में पिछले छह दिनों से गहराया जल संकट अब जनता के लिए गंभीर समस्या बन गया है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भीमगढ़ डेम (संजय सरोवर) में जल स्तर खतरनाक रूप से कम होने के कारण पेयजल आपूर्ति ठप हो गई है, जिससे न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग पानी के लिए तरस रहे हैं।
सांसद ने साधा मौन
इस संकट के बीच सिवनी-बालाघाट संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती भारती पारधी की चुप्पी ने जनता के बीच नाराजगी को और बढ़ा दिया है।
आखिर क्या वज़ह है ? जिससे जल संकट की इस भीषण परिस्थिती में भी सासंद सिवनी जिले की ओर देखने को भी तैयार नहीं है? क्या सांसद की ही मर्जी से भीमगढ़ डेम का जल छोड़ा गया था, जिसने इस भीषण जल संकट को जन्म दिया? एसे अनेक सवाल सिवनी की जनता के मन में उठ रहे हैं।
1 वर्ष में सांसद का रिपोर्ट कार्ड
लोकसभा चुनाव संपन्न हुये 1 वर्ष पूर्ण होने को है, लेकिन इस एक वर्ष में सिवनी जिले के लिए सांसद की उपलब्धि एक बड़े शून्य के अलावा कुछ नहीं है। न ही सांसद ने सिवनी जिले को कोई सौगात दिला पाई, न ही सिवनी के मुद्दों पर संसद में प्रश्न रखा।
सिवनी जिले में आना तो दूर इस भीषण जल संकट में सांसद महोदया के सोशल मीडिया में आपको इस विषय से संबंधित एक पोस्ट भी नहीं दिखाई देगी।
सिवनी जिले में 24 अप्रैल 2023 को रेल्वे सेवा प्रारंभ की गई थी। जिसके बाद तत्कालीन सांसद ढाल सिंह बिसेन के प्रयासों से जबलपुर से लखनऊ के बीच चलने वाली चित्रकूट एक्स्प्रेस 15205/15206 समेत कई गाड़ियों को सिवनी- छिंदवाड़ा से चलाने का प्रस्ताव भेजा गया था। लोकसभा चुनाव के बाद से जो ठंडे बस्ते में चला गया।
स्थानीय प्रयास जारी
इस भीषण जल संकट से निपटने के लिए विधायक दिनेश राय मुनमुन व जिला कलेक्टर के प्रयास जारी है। जिला कलेक्टर से प्राप्त जानकारी के अनुसार 19 अप्रैल 2025 को जिला सिवनी में पेयजल उपयोग हेतु माचागोरा बांध, जिला-छिंदवाड़ा से संजय सरोवर बांध (भीमगढ़) में पानी छोड़ा जायेगा, जिससे अगले सप्ताह तक स्थिति में सुधार की अपेक्षा है।

सिवनी लोकसभा की मांग
सिवनी के विषयों के प्रति सांसद के मुंह फेरने वाले रवैये ने जनता को काफी निराश किया है। जिसने जनता के बीच सिवनी लोकसभा वापिस लाने की मांग को तेज कर दिया है।
लंबे समय से सिवनी की जनता राजनैतिक पक्षपात का शिकार होती चली आ रही है, अगर राजनैतिक पार्टियों की यही स्थिति रहीं तो भविष्य के परिणाम विपरित होंगे।