"नारी जीवन एक अबूझ पहेली" – Yaksh Prashn
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“नारी जीवन एक अबूझ पहेली”

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जीवन एक पहेली है,

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जिसको कोई सुलझा ना पाया

जब भी उसे सुलझाना चाहा,

अनसुलझा ही पाया

बहुत की थी कोशिश,

इस पहेली को सुलझा ने की

अपनी हर कोशिश को,

हमेशा नाकामयाब ही पाया l

कभी न बताना किसी को,

अपने दिल की इच्छा

और ना ही रखना किसी से,

कभी कोई अपेक्षा

अपने मन को रखना,

है हमेशा समझा कर

क्योंकि जीवन लेता है,

हर घड़ी नई-नई परीक्षा l

मुख से ना निकालो,

कोई उम्मीदों के अल्फाज

जब मन हो उदास,

दिल में दफना लो एहसास

ना रखो किसी से आस,

नहीं तो टूटेगा विश्वास

आप हंसो या नहीं,

किसी को कोई फर्क न पड़ता

बल्कि लोगों के सामने,

तमाशा ही तुम्हारा बनता l

भीड़ में रहकर भी,

सदा अकेले रहते हैं हम

होठो में मुस्कान है,

पर दिल में रहता है गम

हम निकले थे जीवन की,

पहेली को सुलझाने

ना सुलझी इसकी गाँठ,

खूब लगाये अपना दम 

सुलझाने में और ज्यादा,

उलझ गए हैं हम l

लेखक/ कवित्री –
श्रीमति पुष्पा कोलारे
खजुरी कलां, भोपाल (म.प्र.) 

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