कविता- “सुकून”
भले ही हो आपके पास खूब सुविधाएँ पर जिंदगी में सही सुकून कहाँ से लाएँ। धन-दौलत आराम का समान देता है पर सुकून तो अपने मन मे ही होता है। जरूरत पर हर चीज बड़ी सुहाती है भूख में सुखी रोटी लजीज हो जाती है। आराम गरीबों की खटिया में भी होता है संतुष्टि की…
