कविता- “ठंडी का मौसम”
ठंडी का मौसम आया, दिन- रात हुआ सर्द सब ओढ़े मोटा दुसाला, मिटाये सर्द का दर्द। ऊनि वस्त्र से प्रीत जुड़े, ज्यों पवन तन पड़े दिनकर की कर प्रतीक्षा, धूप से प्रीत यों बड़े। पूस माह में सुर्ख सर्दी, अकड़ाये सबके हाड़ भोर में तेवर दिखाए, जैसे पड़े तमाचा गाल। बच्चों के पास से जावे,युवा…
