कविता – “हिन्दी हमारी शान”

“हिन्दी हमारी शान“ ——————————– हिन्दी हिन्द की शान हमारी हिन्द धरा की आन हिन्दी भाषा माता जैसी समरसता की खान। हिन्दी का सम्मान करें हम हिन्दी मे काम करें हम हिन्दी का विस्तार बढ़े तो हिन्द का होगा नाम। हिन्द रहते हिन्दी आना गर्व की है बात हिन्दी मे ही निकलेंगे अन्दर के जस्बात। हिन्दी…

गजल – “मेरे इंतजार में”

सूना पड़ा है आंगन मेरा, बस मेरे इंतजार में बूढ़ी आंखें ढूंढ रही है, मेरे आने की आस में ऊंची करंजी डाल झुकाए, खड़ी है मेरी आस में..। पगडंडी भी गांव की मेरी,चलती थी मेरे साथ में सूनी पड़ी है वो पगडंडी, बस मेरे इंतजार में..। अमराई की सान्हें निहारे, खट्टी मीठी स्वाद में दौड़ा करते सांझ सवेरे, सच्चे दोस्तों…

कविता – “प्रकृति से सीख”

नन्ही सी चिड़िया ने सिखाया, ऊँचे उड़ते जाना भँवरों के गुंजन ने सिखाया, मस्त मगन हो गाना । झरना के कलकल ने सिखाया, हरदम चलते जाना नदियों की धारा से सीखा, निरन्तर बढ़ते जाना । चलता पानी छनते रहता, रुका हुआ धुंधलाता चलने वाला मंजिल पाता, ठहरा जो अवशर खोता । हवा का सरसर झौका, बहुत कुछ सिखाता है पेड़ो…

कविता – दर्पण

कान्हा तेरी भक्ति में, जीवन है मेरा अर्पण।। ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।। जब जब तेरे दर्श को मेरे नयन तरसते। मन में बसी सलोनी सूरत पे है ये मरते।। इस प्रेम की पुजारिन ने, कर दिया है समर्पण,, ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।। अंतिम समय जो आये,यम दूत…

Madhu shubham pandey

कविता – “इन सा नहीं कोई दूजा”

माता-पिता की करूँण तपस्या प्यार स्नेह ममता की काया    जीवन पाठ पढ़ाने वाली इनके सिवा सब छल की माया लाड़ प्यार से दिए सहारे थामें रखा साथ हमारे हरदम ऊँगली थामे रखा है न डिगने दिया पैर हमारे । छोटी सी चोट लगी तो आह ! माँ के दिल से आई मेरे सपने पूरे करने…

कविता – “शिक्षक”

साधारण की एक शख्सियत, सच्चा सीधा सरल स्वाभाव, मुख मनोहर तेज भाल पर, नया नूतन ज्ञान के थाव । अनुशरण हम करें हमेशा समझ ज्ञान की है खान जीवन का ये पाठ पढ़ाए   देते हमें विद्या का दान । जीवन ज्ञान खूब बताये    इनकी हमें सीख भी भाये जीवन पूँजी नित्य बढ़ाए थाप देकर…

कविता – “ज्ञान के शिल्पकार-शिक्षक”

अबोध मन जड़ बुद्धि को, ज्ञान सींचकर बड़ा किया गीली मिट्टी थाप-थापकर, सुन्दर सुद्रण रूप दिया । था बिलकुल मैं कोरा कागज, सुन्दर लेख से पूर्ण किया ज्ञान विज्ञान संस्कार सिखाकर, सम्मान के योग्य किया ।   आज जो पहचान हमारी, सुन्दर सुखमय चमक है प्यारी सीख हमारी शिक्षक से है, हम फूल शिक्षक है…

कविता – “गुजरे ज़माने का वैभव”

गुजरे ज़माने का वैभव, खंडहर में कभी रहा होगा चमक सुनहरें रंगों से कभी, यह भी सजा होगा दहलीज पर रौनक, दमकती रही होगी कभी वहाँ शिखरों का दीदार ख़ुशी से, सभी ने किया होगा ।   जहाँ चलती थी, एक छत्र हुकूमत किसी की आदेश पर मर मिटने को, तैयार रहते थे सेवक क्या…

कविता – “कवि की कलम”

काश कलम में कोई, अद्भुत तेज आ जाता लिखते-लिखते, मैं साहित्यकार बन जाता लेखनी में कोई ऐसा, प्रभाव आ जाता मेरे हर शब्द में कविता सा, झरना बह जाता ।   मेरी कलम से, भावना की गहराई झलके छन्दों के श्रृंगार से, मेरी पंक्ति दमके  हर शब्द ज्ञान का, भंडार हो जाता  काव्यों में रसों का,…

कविता – “मुरली मनोहर कान्हा”

कान्हा तेरी मुरली, मधुर बाजे बोल यमुना के तट पर, ये गूंजे चारों ओर गोपिका के मन की, बनी है चितचोर बादल देखे नाचे है, जैसे वन में मोर ।   मुरली ऐसे बाजे , मन के तार ये सजाये सात सुरों के संगम से, संगीत बन जाए होठों पर ऐसी साजे, अधिकार ये जमाए गोपीओं…