कविता – “लड़कियाँ”

(1) आँखों में अरमान लिये कुछ कर जाए ज्योति सा तेज होगा दीपक सी रोशनी होगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पत्थर पर लिखी इबारत हूँ तुम शीशे से कब तक तोड़ोगे हालातो की भट्टी में जब जब झोकोगे तपकर तब तब सोना बनूंगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पीछे खींचोगे तब मेरे…

“नारी”

ईश्वर की अनमोल कृति है   नाम धरा है नारी सर्वगुणों से पूरित करके धरती पर उतारी l ममता त्याग तपस्या का सजीव रूप दे डारी जिस घर मान हो नारी का वो घर सदा रहे उजियारी l अस्तित्व से है जीवंत जीवन न होने पर सूना पैर पड़े जब दर पर इसके समृद्धि हुई…

“सावन की रौद्र बूँदें”

सावन काली अन्धयारी रातो में यूँ गम की भरी बरसातों में ये कहर ढाती बिजलियाँ हलचल मचादी भूमि में l कहीं मुसला तो कहीं रिमझिम से कहीं धीरे से कहीं जम-जम से कभी पोखर में  कभी नदियों में हुआ जल-थालाथल बागियों में l कुछ तरसे एक-एक बूँदों को उम्मीद बने अधर प्यासों को हलधर की बने…

“जीवन रस”

वर्तमान बना सुखद घनेरा, भविष्य किसने है देखा क्यों कुढ़ता मन भीत मनोरे, मीनमेख निकलत ऐसा l   जीवन का रस आज घनेरे, पल-पल बीता जाए ! श्या जितना बटोर सके तो, उतना सुख दिन आये l नित्य दिन अंधकार बने है, तिल-तिल घटता जाये बिन पैरी समय चलत है, कभी न थकता जाए l…

“किताबों से दोस्ती”

किताबो से दोस्त हुई है जबसे तन्हाई तरसती है हरपल मिलने को मुझसे । ज्ञान की देवी विद्या की मूरत गुरु की दिखे इसमें सूरत सही गलत का पाठ पढ़ाती संस्कारी वो मुझे बनाती l इसमें मिलता ज्ञान भंडार विद्या की है सुन्दर खान ज्ञान विज्ञान इतिहास बताती अपनी मूल पहचान कराती l बहुदुर साहस…

“साहित्य का सर्जन”

जब अंतर्मन में भावों का भंवर उमड़-उमड़ कर आये जब उमंग- तरंग जहन में उफन-उफन जाए तब लेखनी चलती है उसे साकार रंग में भरती है तब साहित्य का सर्जन करती है l सुख-दुःख , अनुराग- मिलन जब जलती हो विचारों की निर्मम आग जब सजनी सजती है लिए प्रिये मिलन की आस  तब अनायास ही लेखनी…

“दोस्ती”

ये मेरे दोस्त! मेरे सखा! मेरे हमदम! मेरे सुख-दुःख के साथी ! तेरे रहने भर से कट जाये जिन्दगी सारी l जब ग़मों के पहाड़ में खड़ा था अकेला   उस समय दिया तुमने हिम्मत का सहारा अपने जीवन में एक सच्चा दोस्त होना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा सौभाग्य है l जब…

“सबल बने अब हर नारी”

कब तक अबला बनकर धरती का बोझ उठाओगी, कब तक यूँ सहमे- सहमे अपना दर्द छुपाओगी, बाल रूप से वृद्धा तक रही किसी की छाया में, अब समय वो आया है अपने को सिद्ध कर पाओगी l  रानी लक्ष्मी दुर्गावती वीर नारी की वंशज हो तुम शक्ति रूप दिखाओगी, सक्षम होकर दुनिया में चावला बनकर…

“सावन आया झूम के”

ये सावन की बारिश, ये ठंडी फुहारे पड़े जब बदन में, ये सिहरन उठादे बादल गरजना, बिजली का चमकना छम-छम बूंदें, आसमान से टपकना करें मन मेरा, बारिश में भीग जाऊं नन्ही-नन्ही बूंदों से, दिन भर नहाऊ नदी का किनारा, कल-कल आवाजें   मन में मचादें, गजब के तराने l धरती ने पहना है हरियाली…

Shyam Kumar Kolare: “नजरिया अपना- अपना”

Shyam Kumar Kolare : कविता- “नजरिया अपना-अपना” सूरदास निकालते है खामी मेरे चेहरे में,बेवफा को शिकायत है कि मैं दगा देता हूँ l कायर खोजते है परिश्रम मेरे जीवन में,शकी को शिकायत है कि मैं गलत देखता हूँ l लंगड़ा नुक्श निकालता है मेरी चाल में,लूला को शिकायत है मैं खराब चलता हूँ l मंदबुद्धि…