कविता – “लड़कियाँ”
(1) आँखों में अरमान लिये कुछ कर जाए ज्योति सा तेज होगा दीपक सी रोशनी होगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पत्थर पर लिखी इबारत हूँ तुम शीशे से कब तक तोड़ोगे हालातो की भट्टी में जब जब झोकोगे तपकर तब तब सोना बनूंगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पीछे खींचोगे तब मेरे…
