“बचपन की सुहानी यादें”

कोई लौटा दे वो बचपन के दिन दौडा करते थे सारा सारा दीन कभी टायरों के चक्कों के पीछे कभी उड़ते हवाई जहाज के नीचे रोज होती थी अमराई की सैर खाते थे झाडी की खट्टी मिट्ठी बेर l   कोई लौटा दे वो बचपन के दिन मस्ती करते थे सारे सारे दिन  खुश होते…

“नारी जीवन एक अबूझ पहेली”

जीवन एक पहेली है, जिसको कोई सुलझा ना पाया जब भी उसे सुलझाना चाहा, अनसुलझा ही पाया बहुत की थी कोशिश, इस पहेली को सुलझा ने की अपनी हर कोशिश को, हमेशा नाकामयाब ही पाया l कभी न बताना किसी को, अपने दिल की इच्छा और ना ही रखना किसी से, कभी कोई अपेक्षा अपने…

“गुरु महिमा”

प्रथम गुरु मात-पिता को, महिमा बड़ी महान है, दीन्हों काया सरूप शरीरा, जगत में पहचान है । बिन विद्या नर पशु सामना, पावक बिन प्राण है, गुरु महिमा पड़ी जीव पर, धन्य हुई यह जान है ।   अक्षर ज्ञान की तपिश से, काया कर दी निर्मल, साक्षर कर ससक्त बना, कर दिए समर्थ सबल…

“कल्पनाएँ बचपन की”

जब मैं छोटी बच्ची थी सोचा ऐसा करती थी मम्मी जैसा यदि होती, अपनी मन की करती l   न कोई पढ़ाई लिखाई, न कोई स्कूल जाना खाना में भी अपनी पसंद, खुद खाती सबको खिलाती l   नई-नई साडी पहनकर, सैर सपाटे घूमने जाती यही सोचकर अक्सर मैं, ये सपनो में मैं खो जाती…

“मेरे घर की बगिया”

आँगन में है छोटी बगिया, फूल लगे है सुन्दर सुन्दर, महके जब खुसबू इनकी, मुग्ध हुआ ये सारा घर, रंग बिरंगे पुष्प खिले है, कुछ कुशुम मुस्काती, तितली का बाजार लगे, जब फूलो पर मडराती l मोगरा केवड़ा चम्पा चमेली, गुलाब फुले है हँसती लिली, मेरी आहाट से दूब हँसें, तो झुइमुई है सरमाती लता…

महंगाई की मार, बस करो सरकार

अब मत सरकाओ सरकार, आफत बनी है महगाई, पहले भी तो आग लगाईं, अब फिर से ले रही अंगडाई, नून तेल सब महगे हो गए, महंगी हुई साग की कढ़ाई, अब तो रहम करो सरकार, चुभन लगी फटी चटाई l बच्चों का स्कूल है छूटा, झोपडी का छप्पर भी टूटा, अन्दर पड़ी हुई है खाट,…

“मेरी चाह”

आज कक्षा में बच्चो को हिन्दी विषय बच्चों को पढ़ा रहा था l बच्चों को बहुत पसंदीदा विषय था हिन्दी; आखिर रहे भी क्यों न ! उनके सर यानि मैं; बच्चों को पढ़ाने में अपना सम्पूर्ण दिलोदिमाग लगा देते है, हर एक गतिविधि को पूरे हावभाव से करते थे, कविता को लय के साथ, कहानी…