कविता- “बात पते की”
जिन्दगी में कीमती चेन हो ना हो मगर जिन्दगीं में सुकून की चैन होना चाहिए, चमकता सोना अपने पास हो ना हो मगर, सोने पर शरीर को आराम होना चाहिए । आदमी के पास कार हो ना हो, लेकिन संस्कार होना चाहिए, गद्दे हो सकते है कीमती नरम, पर उस गद्दे पर नींद आनी चाहिए…
