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कविता – “जयती जय भारत माता”

हमें फक्र है देश पर अपना यहाँ हमारा जन्म हुआ इस देश का गुणगान गाये मधुर मनोहर गगन सुआ l अनेक रंग में विविध ढ़ंग में मेल-मिलाव रहते संग में धर्म- संस्कृति मेल निराला राम-रहीम रहे एक ठाव में l सब देश में देश निराला प्रेम सौहार्द है चाम हमारा देश के खातिर मर मिटने…

कविता- “हर स्त्री की कहानी”

पहले बहुत बोलती थी, न जाने क्यों ख़ामोश रहने लगी हूँ।। बहुत खुश रहती हूं बाहर से,न जाने क्यों अंदर ही अंदर घुटने लगी हूं।। कभी कहानियां हुआ करती थी जिंदगी की बातें।। न जाने क्यों अब इन्हें महसूस करने लगी हूं।। पहले थोड़ा सुन कर बहुत सुना दिया करती थी।। न जाने क्यों अब…

कविता – “बेसहारा मासूम बचपन”

तनिक तो सुनलो ये बाबू अब भूख नहीं होती काबू न कोई छत हमारे सर नंगे-भूखे है खाली कर l सड़कों पर मलिन गलिन में कर फैलाये धूप-वारिश में ये मजबूरी विकट खडी है उदर भरण की ठेय नहीं है l कोई धुतकारे कोई है मारे मजबूरी के हम है सारे कोई तो सुध लो…

कविता – “लड़कियाँ”

(1) आँखों में अरमान लिये कुछ कर जाए ज्योति सा तेज होगा दीपक सी रोशनी होगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पत्थर पर लिखी इबारत हूँ तुम शीशे से कब तक तोड़ोगे हालातो की भट्टी में जब जब झोकोगे तपकर तब तब सोना बनूंगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पीछे खींचोगे तब मेरे…

“नारी”

ईश्वर की अनमोल कृति है   नाम धरा है नारी सर्वगुणों से पूरित करके धरती पर उतारी l ममता त्याग तपस्या का सजीव रूप दे डारी जिस घर मान हो नारी का वो घर सदा रहे उजियारी l अस्तित्व से है जीवंत जीवन न होने पर सूना पैर पड़े जब दर पर इसके समृद्धि हुई…