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कविता- “बुझा हुआ दीपक”

सब कहते है, बेटा कुल का दीपक होता है जो वंश-परिवार की, रोशन की खान होता है   पता नहीं ! हमेशा यह बात सत्य होती है क्या बेटा से ही, परिवार की शान होती है ?             बेशक बेटा माँ-बाप का सहारा होता है             इनके जीवन में आखों का तारा होता है            …

कविता – “सावन की बहारें”

सावन आया पहन हरियाली धूम मचाये है बदरी काली धरती ने पहना है हरा श्रृंगार नदियों ने पहना है नीर रुपी हार । सावन की फुहारें मंद-मंद बरसना भोरों का जैसे फूलों पे सरकना मदहोश घटा अम्बर बिखारे बादलों से दिनकर करें है इशारे । रंग-बिरंगी सुन्दरता फूलों में आई चारो तरफ है मदहोशी छाई…

कविता – “जयती जय भारत माता”

हमें फक्र है देश पर अपना यहाँ हमारा जन्म हुआ इस देश का गुणगान गाये मधुर मनोहर गगन सुआ l अनेक रंग में विविध ढ़ंग में मेल-मिलाव रहते संग में धर्म- संस्कृति मेल निराला राम-रहीम रहे एक ठाव में l सब देश में देश निराला प्रेम सौहार्द है चाम हमारा देश के खातिर मर मिटने…

कविता- “हर स्त्री की कहानी”

पहले बहुत बोलती थी, न जाने क्यों ख़ामोश रहने लगी हूँ।। बहुत खुश रहती हूं बाहर से,न जाने क्यों अंदर ही अंदर घुटने लगी हूं।। कभी कहानियां हुआ करती थी जिंदगी की बातें।। न जाने क्यों अब इन्हें महसूस करने लगी हूं।। पहले थोड़ा सुन कर बहुत सुना दिया करती थी।। न जाने क्यों अब…

कविता – “बेसहारा मासूम बचपन”

तनिक तो सुनलो ये बाबू अब भूख नहीं होती काबू न कोई छत हमारे सर नंगे-भूखे है खाली कर l सड़कों पर मलिन गलिन में कर फैलाये धूप-वारिश में ये मजबूरी विकट खडी है उदर भरण की ठेय नहीं है l कोई धुतकारे कोई है मारे मजबूरी के हम है सारे कोई तो सुध लो…

कविता – “लड़कियाँ”

(1) आँखों में अरमान लिये कुछ कर जाए ज्योति सा तेज होगा दीपक सी रोशनी होगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पत्थर पर लिखी इबारत हूँ तुम शीशे से कब तक तोड़ोगे हालातो की भट्टी में जब जब झोकोगे तपकर तब तब सोना बनूंगी तुम मुझे कब तक रोकोगे , पीछे खींचोगे तब मेरे…

“जीवन रस”

वर्तमान बना सुखद घनेरा, भविष्य किसने है देखा क्यों कुढ़ता मन भीत मनोरे, मीनमेख निकलत ऐसा l   जीवन का रस आज घनेरे, पल-पल बीता जाए ! श्या जितना बटोर सके तो, उतना सुख दिन आये l नित्य दिन अंधकार बने है, तिल-तिल घटता जाये बिन पैरी समय चलत है, कभी न थकता जाए l…

महंगाई की मार, बस करो सरकार

अब मत सरकाओ सरकार, आफत बनी है महगाई, पहले भी तो आग लगाईं, अब फिर से ले रही अंगडाई, नून तेल सब महगे हो गए, महंगी हुई साग की कढ़ाई, अब तो रहम करो सरकार, चुभन लगी फटी चटाई l बच्चों का स्कूल है छूटा, झोपडी का छप्पर भी टूटा, अन्दर पड़ी हुई है खाट,…