Home » Madhu Shubham Pandey

कविता – दर्पण

कान्हा तेरी भक्ति में, जीवन है मेरा अर्पण।। ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।। जब जब तेरे दर्श को मेरे नयन तरसते। मन में बसी सलोनी सूरत पे है ये मरते।। इस प्रेम की पुजारिन ने, कर दिया है समर्पण,, ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।। अंतिम समय जो आये,यम दूत…

Madhu shubham pandey

कविता – “झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई”

दुर्गा रूप में जन्मी थी वो झाँसी की महारानी।। आओ तुम्हे बताएं,लक्ष्मीबाई की कहानी।। सन अठ्ठारह सौ अट्ठाइस और दिन था बुधवार।। वाराणसी की पावन धरा पर देवी ने लिया अवतार।। बचपन से ही थी वो वीरता की निशानी।। आओ तुम्हे बताएं,लक्ष्मीबाई की कहानी।। मोरोपन्त थे पिता माता थी भागीरथी बाई। सबकी बहुत लाडली थी…

कविता- “हर स्त्री की कहानी”

पहले बहुत बोलती थी, न जाने क्यों ख़ामोश रहने लगी हूँ।। बहुत खुश रहती हूं बाहर से,न जाने क्यों अंदर ही अंदर घुटने लगी हूं।। कभी कहानियां हुआ करती थी जिंदगी की बातें।। न जाने क्यों अब इन्हें महसूस करने लगी हूं।। पहले थोड़ा सुन कर बहुत सुना दिया करती थी।। न जाने क्यों अब…