कविता – दर्पण
कान्हा तेरी भक्ति में, जीवन है मेरा अर्पण।। ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।। जब जब तेरे दर्श को मेरे नयन तरसते। मन में बसी सलोनी सूरत पे है ये मरते।। इस प्रेम की पुजारिन ने, कर दिया है समर्पण,, ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।। अंतिम समय जो आये,यम दूत…
