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“नारी जीवन एक अबूझ पहेली”

जीवन एक पहेली है, जिसको कोई सुलझा ना पाया जब भी उसे सुलझाना चाहा, अनसुलझा ही पाया बहुत की थी कोशिश, इस पहेली को सुलझा ने की अपनी हर कोशिश को, हमेशा नाकामयाब ही पाया l कभी न बताना किसी को, अपने दिल की इच्छा और ना ही रखना किसी से, कभी कोई अपेक्षा अपने…

“कल्पनाएँ बचपन की”

जब मैं छोटी बच्ची थी सोचा ऐसा करती थी मम्मी जैसा यदि होती, अपनी मन की करती l   न कोई पढ़ाई लिखाई, न कोई स्कूल जाना खाना में भी अपनी पसंद, खुद खाती सबको खिलाती l   नई-नई साडी पहनकर, सैर सपाटे घूमने जाती यही सोचकर अक्सर मैं, ये सपनो में मैं खो जाती…