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“मेरे सपनों का 2047 का भारत”

प्रस्तावना- भारत जो कि विश्व में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देश के रूप में जाना जाता है। शायद इसलिये ही इसे “युवा भारत” कह कर पुकारा जाता है। आज विश्व में भारत अपनी युवा ऊर्जा के साथ विकास के  पायदान पर लगातार आगे बढ़ रहा है। क्षेत्र भले ही कोई भी हो भारत का हर…

Suryakant Chaturvedi seoni

कविता- दर्पण

दर्पण नही छुपाता है, सीधी सच्ची बात जैसी है तस्वीर सामने,वही अक्स लाता इसके सामने झूठ, कभी नही टिक पाता अपने इस गुण से,  है सज्जन कहलाता। भाव सबके पहचाने, है दुःख इसे न भाता खुश में खुश हो जाये, चमक और बढ़ाता देख मुखड़ा दर्पण में, बाला खुश हो जाये सामने इसके रहने, मन…

गीता परिवार ने किया गीता जयंती समारोह का आयोजन

सिवनी- दिनाँक 14/12/2021, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी गीता जयंती के पावन अवसर पर गीता परिवार सिवनी द्वारा गीता जयंती कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय राम मंदिर शुक्रवारी में किया गया।कार्यक्रम के शुभारंभ में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा भगवान श्री राम जी व गीता जी का पूजन किया गया। पूजन उपरांत श्रीमद्भगवद्गीता जी का परायण किया गया। तदुपरांत कार्यक्रम…

Pt janki vallabh mishra ji

कविता- सच्चा दोस्त

हर सुबह के बाद एक अच्छी शाम होना चाहिए,  जीवन में अपना एक सच्चा दोस्त होना चाहिए, दोस्त के संग  भावना की  सौगात होना चाहिए, जीवन में अपना एक सच्चा दोस्त होना चाहिए। मस्ती की बारिश में खुशियों के छीटे होना चाहिए, दोस्ती की रिमझिम बारिश में भी भीगना चाहिए, जीवन में नई उमंग दोस्तो…

कविता- महंगाई

खूब बढ़ रही महंगाई गरीबी बढ़ती जाए  हाय महंगाई तुझको क्या शर्म भी ना आए  मिट्टी की दीवारें, फूस छत जैसी की तैसी मैया का चश्मा है टूटा, वो सुधरा न जाए खाट सुतली भी टूटी, चादर सुकड़ा जाए खूब बढ़ रही महंगाई गरीबी बढ़ती जाए।। मशीनें है हाथ घटाते नहीं देते किसी का साथ …

कविता- “सुकून”

भले ही हो आपके पास खूब सुविधाएँ पर जिंदगी में सही सुकून कहाँ से लाएँ। धन-दौलत आराम का समान देता है पर सुकून तो अपने मन मे ही होता है। जरूरत पर हर चीज बड़ी सुहाती है भूख में सुखी रोटी लजीज हो जाती है। आराम गरीबों की खटिया में भी होता है संतुष्टि की…

कपड़ा बैंक ने बांटें गरीब बच्चों को गर्म कपड़े

चौरई(छिन्दवाड़ा)- दिनाँक 14 नवंबर 2021, कपड़ा बैंक सेवा संघ संगठन जिला छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश अपने सेवा कार्य के लिए जिला की एक अग्रणी समाजसेवी संस्था के रूप में कार्य कर रही है। अभी शीतऋतु का प्रारंभ हो चुका है, गरीब एवं असहाय परिवारो को यह काल बड़ा कष्टप्रद होता है, कारण की अभी भी बहुत…

गाँव का मड़ई मेला

लघु कथा – दीपावली की छुट्टी में, मैं “मिश्री” अपने मम्मी-पापा के साथ दीपावली मनाने के लिए दादा-दादी के घर छिंदवाड़ा जाने के लिए बहुत उत्साहित थी। हम मम्मी-पापा के साथ भोपाल में रहते थे; अपने दादा के घर तीज त्यौहार एवं कोई अनुष्ठान में जाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। इस बार दीपावली…

कविता – मिट्टी का नन्हा दीपक

एक नन्हा सा दीपक मिट्टी का, रखे सदा समर्पण भाव   अंत समय तक जलता रहता, लगा देता है जीवन दाव मिट्टी का दिया बोला हवा से, बहुत ताकत है तेरे अन्दर हम दोनों गर मिल जाये, जहान बनादे स्वर्ग सा सुन्दर।   मैं दीपक देता मंद प्रकास हूँ , हवा देती सबको प्राण  …

कविता : सुरसा बनी महँगाई

महँगाई फलफूल रही  जकड़ रही है देश को नए- नए रूप में आकर बदल रही है वेश को हर जगह महँगाई की मार तोड़ रही कमर को खाने को सोचने लगे है महँगा हुआ राशन जो। किसान को तो खाद के मांदे आधी हुई कमाई हर चीज की दुनी कीमत सुरसा बनी महँगाई मिट्टी भी…