कविता – “लिवाज”
लिवाजो की चमक-दमक, इसमे सब शान ढूंढ़ते है कीमती लिवाजो में अक्सर, खुद की पहचान ढूढ़ते है। इंसान लिवाज से नही, क़ाबलियत से जाना जाता है हुनर ज्ञान ही उसे खुद की, सही पहचान दिलाता है। बेजान मूर्ति को दुकानों पर, सजे अक्सर देखा होगा लिवाज उन मूरतों में केवल, चकाचौंध लाता होगा। साधारण…
