कविता – “आंखों का नूर”
पथराई अखियन से देखे नूर कहीं जैसा चला गया आस भरी निगाहों से ये प्रीत ममता का वह गया। कलेजे का टुकड़ा बिछडा बहुत दिन गए हैं बीत याद बसायें मन में सारी दिल में उमड़ रही है मीत। कही दूर बसाकर अपना देश प्रीत ने बनाया अलग सा वेश चमक भरी गलियाँ भुला गई…
