“सावन आया झूम के”
ये सावन की बारिश, ये ठंडी फुहारे पड़े जब बदन में, ये सिहरन उठादे बादल गरजना, बिजली का चमकना छम-छम बूंदें, आसमान से टपकना करें मन मेरा, बारिश में भीग जाऊं नन्ही-नन्ही बूंदों से, दिन भर नहाऊ नदी का किनारा, कल-कल आवाजें मन में मचादें, गजब के तराने l धरती ने पहना है हरियाली…
