कविता - दर्पण – Yaksh Prashn – Madhu Shubham Pandey
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कविता – दर्पण

Madhu shubham pandey
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कान्हा तेरी भक्ति में, जीवन है मेरा अर्पण।।

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ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।।

जब जब तेरे दर्श को मेरे नयन तरसते।

मन में बसी सलोनी सूरत पे है ये मरते।।

इस प्रेम की पुजारिन ने, कर दिया है समर्पण,,

ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।।

अंतिम समय जो आये,यम दूत न सताएं,

तुम रहो मेरे सन्मुख,मेरे प्राण निकल जाएं।।

मुरली की तान से ही हो जाए मेरा तर्पण।।

ह्रदय में तुम बसे हो,ये है तुम्हारा दर्पण।।

कवियित्री/ लेखिका –
श्रीमति मधु शुभम पांडे
माचीवाड़ा, छिन्दवाड़ा (म प्र)
#MadhuShubhamPandey