पिछली पंक्ति नन्हा चेहरा
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बैठा हुआ था मन उदास
मन में उमड़ती आशाएं
छोटी मगर बहुत ही खास।
स्कूल गए बगैर पढ़ाई
बाला सीधे दूसरी में आई
पहली की छूटी पढ़ाई
मुनिया इसे समझ ना पाई।
घर में नहीं हुई पढ़ाई
कुछ भी ये समझ न पाई
अक्षर शब्द सब अनजाने
अंक संख्या सब हुए वेगाने।
मैया मेरी भी तुम सुन लो
जानी मानी एक फरियाद
मैया मैं सब भूल गई हूँ
था जो मुझको मन मे याद ।
मुझे पढ़ना है पहली की भी
पाठ कविता करना याद
थाप देकर मिझे पढ़ाना
हो जाएगा सब कुछ याद।
बाल मन का क्या था दोष
करोना ने मचाया शोर
बीत गए दिन बड़े सुहाने
भूल गए जो खास हमारे।
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
#ShyamKumarKolare
“शुरू हुई फिर से पढ़ाई”
