कविता- “पूस की सर्दी”
हल्की धूप दे मजा, भाये गुनगुना पानी सर्द हवाओं में घुली है, ठंड की कहानी। पवन शीत से नहाये, झटके अपने बाल ठंड से ठंडा हो जाये, सुर्ख ग़ुलाबी गाल। अलाव आगे सब बैठे, लगे अच्छी आंच ठंड सजी है युवा बाला, दिखा रही नाच। शीत श्रृंगार सुशोभित,मन्द पवन के झौके हाड़ कपायें ठंड ऐसे,ज्यों…
