दर्पण नही छुपाता है, सीधी सच्ची बात
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जैसी है तस्वीर सामने,वही अक्स लाता
इसके सामने झूठ, कभी नही टिक पाता
अपने इस गुण से, है सज्जन कहलाता।
भाव सबके पहचाने, है दुःख इसे न भाता
खुश में खुश हो जाये, चमक और बढ़ाता
देख मुखड़ा दर्पण में, बाला खुश हो जाये
सामने इसके रहने, मन बार-बार है भाये।
जैसे को तैसे दिखे, सच्ची वही तस्वीर
जो सामने बैठा हो, मिले वैसी तजवीर
अपने को ऐसा रखे, जो देता वो पाता है
जो देता जैसा इसको,वो ही सीधे पाता है।
दर्पण चमक सिखाती, सीधी सच्ची बात
अपने को साफ रखें, मन के शुद्ध जस्बात
इसकी खुबिया ऐसी है, सब करते विश्वास
कण भर भी न डिगे, सच का दे अहसास।
दर्पण तेरा दीवाना हूँ, गुरु बने तुम आज
गुण तेरा मिले मुझे, इसका करू में नाज
साहेब दर्पण जैसा हो, मेरा सच्चा ज्ञान
सच हमेशा साथ हो, सच्ची हो पहचान।
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता
चारगांव प्रहलाद, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
#ShyamKumarKolare
