Seoni (यक्ष-प्रश्न) Dr Umesh Pathak,13 मई 2025– हर साल की तरह इस साल भी बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आ गए हैं। कोई खुशी से झूम रहा है, तो कोई मायूस होकर अकेला बैठा है। कई बच्चों को ऐसा लग रहा है कि उनका सपना टूट गया, जीवन की दौड़ में वे पीछे छूट गए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कुछ बच्चों में निराशा और अवसाद (Depression) जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं – वे खुद को दूसरों से तुलना कर रहे हैं, अपने को नाकाम मान रहे हैं। ऐसे समय में हमें समझना होगा कि बोर्ड का रिजल्ट जीवन का एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं। यह सिर्फ एक परीक्षा का परिणाम है, न कि बच्चे की काबिलियत का प्रमाण पत्र।
बच्चों के लिए कुछ जरूरी बातें- Dr Umesh Pathak
- रिजल्ट ही सब कुछ नहीं होता– एक परीक्षा का नतीजा आपके भविष्य का फैसला नहीं करता। कई सफल लोगों के स्कूली अंकों में कुछ खास नहीं था, लेकिन उन्होंने जीवन में कमाल किया और कई लोगों के प्रतिशत अच्छे थे पर वो पीछे भी रह गए।
- मन की बातें साझा करें- अगर रिजल्ट आपकी उम्मीद के मुताबिक नहीं आया तो दुख होना स्वाभाविक है। अपने दिल की बात किसी भरोसेमंद दोस्त, परिवार वाले या किसी काउंसलर से जरूर साझा करें।
- खुद की तुलना दूसरों से न करें– हर व्यक्ति की यात्रा अलग होती है, आपसे आगे जाने वाला बच्चा किसी अन्य क्षेत्र में कमजोर हो सकता है जहां आप उससे काफी आगे हो सकते हैं । अपनी क्षमता और रुचियों को पहचानें और उसी अनुसार आगे की योजना बनाएं।
- अपने आप को समय दें– कठिनाई के वक्त मदद मांगना कमजोरी नहीं, हिम्मत होती है। रिजल्ट के शुरुआती समय में मन बहुत विचलित होता है, आत्महत्या जैसे विचार आने लगते है, परंतु इनको अपने ऊपर हावी ना होने दें । समय बीतने के साथ ये कम हो सकते हैं। अगर लगातार आत्मघाती विचार बने रहें तो तुरंत किसी काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।
अभिभावकों के लिए सुझाव
- बच्चों को प्यार और समर्थन दें- रिजल्ट अच्छा आया हो या बुरा, बच्चों को यह महसूस कराएं कि आप उन्हें बिना शर्त प्यार करते हैं। उनका आत्मविश्वास आपकी बातों और बर्ताव से जुड़ा है।
- तुलना न करें- “देखो, शर्मा जी का बेटा 95% लाया है” – ऐसी बातें बच्चों का मनोबल तोड़ती हैं। हर बच्चे की अपनी क्षमता होती है। उलाहना देने की बजाय उसे अपनी क्षमता विकसित करने के तरीके सिखाएं।
- संवाद बनाए रखें- रिजल्ट के बाद बच्चों से खुलकर बातें करें। उन्हें यह कहने का मौका दें कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं। उन्हें बाहर घुमाने ले जाएं।
- करियर के विकल्पों को समझें- बोर्ड के नंबर कम होने का यह मतलब नहीं कि बच्चा जीवन में सफल नहीं हो सकता। आज के दौर में हर क्षेत्र में अवसर हैं – कला, खेल, तकनीक, व्यवसाय, संगीत, डिज़ाइन आदि। बच्चों में प्रतिभाओं को खोजें और उस प्रतिभा में आगे बढ़ने का मौका दें।
बोर्ड परीक्षा के परिणाम एक पड़ाव हैं, पूरी यात्रा नहीं । हर बच्चा एक विशेष प्रतिभा लेकर आया है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सहारा दें, रास्ता दिखाएं और यह यकीन दिलाएं कि कोई भी नतीजा उन्हें रोक नहीं सकता अगर वे ठान लें।
नतीजे बताते हैं आप आज कहां हैं, लेकिन यह नहीं कि आप कल कहां पहुंच सकते हैं।

Dr Umesh Pathak (मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज संबद्ध, जिला चिकित्सालय सिवनी)
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