कविता- “हर स्त्री की कहानी”
पहले बहुत बोलती थी, न जाने क्यों ख़ामोश रहने लगी हूँ।। बहुत खुश रहती हूं बाहर से,न जाने क्यों अंदर ही अंदर घुटने लगी हूं।। कभी कहानियां हुआ करती थी जिंदगी की बातें।। न जाने क्यों अब इन्हें महसूस करने लगी हूं।। पहले थोड़ा सुन कर बहुत सुना दिया करती थी।। न जाने क्यों अब…
