Home » Chhindwara » Page 3

भारत के समस्त जे.एम.बी.डी. के 450 से अधिक ऑफिस में कपड़ा बैंक के खुलेंगे कपड़ा कलेक्शन पाइंट

छिन्दवाड़ा- कपड़ा बैंक “सेवा सहयोग संगठन” जिला छिंदवाड़ा, जमीनी स्तर पर गरीब जरूरतमंद एवं असहायों की सहायता के लिए जिला में ही नहीं वल्कि प्रदेश से लेकर अन्य राज्यों में भी पहचान बनाये हुए है। कपड़ा बैंक के माध्यम से हर साल ठण्ड के दिनों में दानदाताओं द्वारा प्राप्त गर्म कपड़े, कम्बल, जर्सी, बच्चों के गर्म…

कविता – “लिवाज”

लिवाजो की चमक-दमक, इसमे सब शान ढूंढ़ते है कीमती लिवाजो में अक्सर, खुद की पहचान ढूढ़ते है। इंसान लिवाज से नही, क़ाबलियत से जाना जाता है हुनर ज्ञान ही उसे खुद की, सही पहचान दिलाता है। बेजान मूर्ति को दुकानों पर, सजे अक्सर देखा होगा लिवाज उन मूरतों में केवल, चकाचौंध लाता होगा।   साधारण…

“एक ऐसा भी करवा चौथ”

साहित्य- सुबह जल्दी उठकर पुष्पा अपने दैनिक काम में लग गई । आज सोचा था कि दोपहर के पहले सब काम निपटकर थोड़ी देर आराम करेगी। दिनभर निर्जला निराहार व्रत जो रखना है उसे आज। हाँ! पिछले आठ साल हो गए है उसे यह व्रत करते हुए । आज सुहागिन महिलाओं का बड़ा कठिन लेकिन…

“आस भरी निगाहें”

चौराहों फुटपाथों पर आम जरुरत की सजी दुकाने तीज त्यौहार या मढ़ई मेला,मोहल्ला का कोई ठेला   पेट पालने बच्चों का धूप जाड़ा में भी खड़ा रहता अपनी परवाह न करके दूसरो के लिए तत्पर्य रहता ।   कम लागत की ये दुकाने, स्वाभिमान से चलती है घर जाकर देखो इनके, दिहाड़ी से भट्टी जलती…

कविता : चुभता शूल

कहीं धुँआ तो कहीं जहर है हर तरफ देखो मचा कहर है सब अनजाने ये कैसा शहर है भीड़ बड़ी पर अकेला पहर है। मची रही हर तरफ लूटम लूट है इसकी मानो मिली खुली छूट है सस्ती हुई महँगी ये चर्चा आम है दूध में मिले पानी सरल काम है। लूट की देखो ये…

कविता : मैं भी रखूँगा एक उपवास

मैं भी रखूँगा एक उपवास, होटो पर हो सदा मुस्कान हे! आसमान के उजले चाँद ,नही तू मेरे चाँद सा सुन्दर  नित्य आता है नित्य जाता है, दमकने की तू करे चेष्टा  तुझसे ज्यादा रोशन मुखड़ा,दिखता मेरे चाँद के अन्दर। मैं भी रखूँगा एक उपवास, लम्बी उम्र हो मेरे चाँद की  कभी घटता न कभी…

कविता – “तरुवर”

“ऊंचे ऊंचे पेड़ देखो गगन को झू रहे हरि-हरि पत्तियों में मंद मुस्कान है सीना ताने एक एकजुट होकर ये तरु लक्ष्य के भेदन को देखे आसमान है।। इत तित देखन में मनोहर लगत है झुमें ये कलाओं से लगे कलाबाज है सावन की रिमझिम बूंद पड़ी तन में भीगते नहाए हुए लगे चमकदार है।।…

“इंसानियत”

किसी अंजान की निःस्वार्थ मदद करना और उससे कुछ भी न चाहना, इंसानियत होती है । दुःख तकलीफ जिल्म परेशानी देना शैतानो का काम होता है देना हो तो हिम्मत दो जस्बा दो मदद दो, सहायता दो ! इससे इंसानियत दिखती है मर्द औरत को आदेश देता है अधिकारी कर्मचारिओं को मालिक मजदूर को आदेश…

“शुरू हुई फिर से पढ़ाई”

पिछली पंक्ति नन्हा चेहरा बैठा हुआ था मन उदास मन में उमड़ती आशाएं छोटी मगर बहुत ही खास। स्कूल गए बगैर पढ़ाई बाला सीधे दूसरी में आई पहली की छूटी पढ़ाई मुनिया इसे समझ ना पाई। घर में नहीं हुई पढ़ाई कुछ भी ये समझ न पाई अक्षर शब्द सब अनजाने अंक संख्या सब हुए…

कविता- “बात पते की”

जिन्दगी में कीमती चेन हो ना हो मगर जिन्दगीं में सुकून की चैन होना चाहिए, चमकता सोना अपने पास हो ना हो मगर, सोने पर शरीर को आराम होना चाहिए । आदमी के पास कार हो ना हो, लेकिन संस्कार होना चाहिए, गद्दे हो सकते है कीमती नरम, पर उस गद्दे पर नींद आनी चाहिए…