कविता – “सावन की बहारें”
सावन आया पहन हरियाली धूम मचाये है बदरी काली धरती ने पहना है हरा श्रृंगार नदियों ने पहना है नीर रुपी हार । सावन की फुहारें मंद-मंद बरसना भोरों का जैसे फूलों पे सरकना मदहोश घटा अम्बर बिखारे बादलों से दिनकर करें है इशारे । रंग-बिरंगी सुन्दरता फूलों में आई चारो तरफ है मदहोशी छाई…
