कविता : मैं भी रखूँगा एक उपवास
मैं भी रखूँगा एक उपवास, होटो पर हो सदा मुस्कान हे! आसमान के उजले चाँद ,नही तू मेरे चाँद सा सुन्दर नित्य आता है नित्य जाता है, दमकने की तू करे चेष्टा तुझसे ज्यादा रोशन मुखड़ा,दिखता मेरे चाँद के अन्दर। मैं भी रखूँगा एक उपवास, लम्बी उम्र हो मेरे चाँद की कभी घटता न कभी…
