कविता – “उम्मीद का दीया”
हर अंधेरी रात के बाद, नया सबेरा आता है मन में सभी के,उम्मीद का दिया जलता है। सूरज की गर्मी से चलती, दिनचर्या है आगे शाम ढले जब आये रात,उजाला जब भागे। उम्मीद बढ़ाती जिंदगी,रोज सुबह की आस सुबह सबेरे चल पड़े , आये प्राण में साँस। रोज सबेरे नन्ही चिड़िया,अपनी चहक लगती अपनी से…
