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समान शिक्षा बने देश का मुद्दा

देश में एक देश-एक विधान-एक संविधान लागू हो रहा है। लेकिन, क्या इस मुद्दे में शिक्षा शामिल नहीं हो सकती? “अपने देश में भिन्न-भिन्न प्रकार के शिक्षण-संस्थानों में भिन्न-भिन्न प्रकार की शिक्षा दी जा रही है। सबके पाठ्यक्रम से लेकर प्रबंधन तक अलग-अलग हैं। जिनका सरकारीकरण से लेकर व्यापारीकरण तक हो चुका है और पढ़ने…

कविता – “श्रद्धा ही श्राद्ध”

पड़ा खाट पर बूढ़ा बाबा करा रहा है दे आवाज लगी भूख उदर जल रहा भोज अग्नि से कोई सींच बना कलेवा बाबा का ग्रहलक्ष्मी ले आई थाल पकवान देखकर मुस्काया   कैसे खाए नहीं थे दांत । मन रोया और तन थर्राया   बूढ़ी अवस्था की है भान जब युवा था तब तो मैंने …

कविता – “जीवन संगनी”

जीवन में संगनी का पग, बड़ा कमाल कर जाता है सूने जीवन में जैसे, बसंत लेकर आता है चार पगों में दुनिया स्थिर, तीव्र वेग सह जाता है जीवन का संसार चक्र, इन पहियों से बढ़ जाता है l   उम्र का एक पड़ाव जब साथ किसी का भाता है जीवन का सच्चा सुख संगिनी…

कविता- “हिन्दी हिन्द की शान”

हिन्दी हमारी प्यारी भाषा, हिन्दी हमारी शान है हिन्दी से शुरू होती, हमारी सुबह शाम है ।   हिन्दी में बातें-बोली होती, आते सब जज्बात है हिन्दी की तो बात निराली, मधुर सलोनी तान है।   कोयल सी मधुर ध्वनि है, सीधी-सादी बहुत सरल है हम सब के ह्रदय में बसती, गंगा सी निर्मल धार है।   गागर में सागर भर…

कविता – “हिन्दी हमारी शान”

“हिन्दी हमारी शान“ ——————————– हिन्दी हिन्द की शान हमारी हिन्द धरा की आन हिन्दी भाषा माता जैसी समरसता की खान। हिन्दी का सम्मान करें हम हिन्दी मे काम करें हम हिन्दी का विस्तार बढ़े तो हिन्द का होगा नाम। हिन्द रहते हिन्दी आना गर्व की है बात हिन्दी मे ही निकलेंगे अन्दर के जस्बात। हिन्दी…

गजल – “मेरे इंतजार में”

सूना पड़ा है आंगन मेरा, बस मेरे इंतजार में बूढ़ी आंखें ढूंढ रही है, मेरे आने की आस में ऊंची करंजी डाल झुकाए, खड़ी है मेरी आस में..। पगडंडी भी गांव की मेरी,चलती थी मेरे साथ में सूनी पड़ी है वो पगडंडी, बस मेरे इंतजार में..। अमराई की सान्हें निहारे, खट्टी मीठी स्वाद में दौड़ा करते सांझ सवेरे, सच्चे दोस्तों…

कविता – “प्रकृति से सीख”

नन्ही सी चिड़िया ने सिखाया, ऊँचे उड़ते जाना भँवरों के गुंजन ने सिखाया, मस्त मगन हो गाना । झरना के कलकल ने सिखाया, हरदम चलते जाना नदियों की धारा से सीखा, निरन्तर बढ़ते जाना । चलता पानी छनते रहता, रुका हुआ धुंधलाता चलने वाला मंजिल पाता, ठहरा जो अवशर खोता । हवा का सरसर झौका, बहुत कुछ सिखाता है पेड़ो…

कविता – “इन सा नहीं कोई दूजा”

माता-पिता की करूँण तपस्या प्यार स्नेह ममता की काया    जीवन पाठ पढ़ाने वाली इनके सिवा सब छल की माया लाड़ प्यार से दिए सहारे थामें रखा साथ हमारे हरदम ऊँगली थामे रखा है न डिगने दिया पैर हमारे । छोटी सी चोट लगी तो आह ! माँ के दिल से आई मेरे सपने पूरे करने…

लेख- “शिक्षक के लिए सच्ची श्रद्धा”

शिक्षक से मिलता है ज्ञान,शिक्षा से मिलता सम्मान, शिक्षक विद्या की है खान,शिक्षक बनाते हमें महान l शिक्षक…. दिवस आते ही लोगों के मन में शिक्षक के प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती है, आखिर हो भी क्यों न शिक्षक का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है । आखिर हमारे पास जो ज्ञान, समझ, बुद्धि है वह सब हमारे शिक्षक की…

कविता – “शिक्षक”

साधारण की एक शख्सियत, सच्चा सीधा सरल स्वाभाव, मुख मनोहर तेज भाल पर, नया नूतन ज्ञान के थाव । अनुशरण हम करें हमेशा समझ ज्ञान की है खान जीवन का ये पाठ पढ़ाए   देते हमें विद्या का दान । जीवन ज्ञान खूब बताये    इनकी हमें सीख भी भाये जीवन पूँजी नित्य बढ़ाए थाप देकर…