गजल – “मेरे इंतजार में”
सूना पड़ा है आंगन मेरा, बस मेरे इंतजार में बूढ़ी आंखें ढूंढ रही है, मेरे आने की आस में ऊंची करंजी डाल झुकाए, खड़ी है मेरी आस में..। पगडंडी भी गांव की मेरी,चलती थी मेरे साथ में सूनी पड़ी है वो पगडंडी, बस मेरे इंतजार में..। अमराई की सान्हें निहारे, खट्टी मीठी स्वाद में दौड़ा करते सांझ सवेरे, सच्चे दोस्तों…
