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Shyam Kumar Kolare – “एक कोना भर बुढ़ापा”

Short Story (यक्ष-प्रश्न), 3 मई 2025– शीर्षक- “एक कोना भर बुढ़ापा“, लेखक- श्याम कुमार कोलारे (Shyam Kumar Kolare) शहर से लौटते हुए कदम खुद-ब-खुद उस रास्ते की ओर मुड़ गए, जहाँ कभी मेरी ज़िंदगी की सबसे कीमती सीखें मिला करती थीं। वो पुराना सा घर, जिसके आँगन में खेलते हुए मैंने बचपन जिया था। वहीं…

नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत, बच्चों के जीवन में नई उमंग

विचार- अप्रैल की शुरुआत और स्कूल का नया सत्र प्रारम्भ होते ही बच्चों में एक नया उत्साह दिखाई देता है। पिछली कक्षा की परीक्षा के बाद कुछ अंतराल में स्कूल फिर से खुलते हैं और बच्चे नई उम्मीदों और उमंग के साथ स्कूल पहुँचना शुरू करते हैं। हर तरफ एक नई रौनक होती है –…

Students, children, cute children

कविता- “अपनी एक पहचान”

उम्मीदों का दिया चीरता अंधयारी को नन्हा नही ये छिपा रखा है चिंगारी कोमन मे दहकते लपटों की गर्मियाँ कोपहचान कर देखों इनकी नर्मियों को। उड़ना नही आसां यहां पंखो के बिना अगर सोच लो तुम आसमान को छूनाहौसलों के पंख कर मज़बूत इतना सहारे इसके छू ले  धरा से आसमा। कायरो की कहीं कोई पहचान नही होतीमेहनत…

कविता- “पूस की सर्दी”

हल्की धूप दे मजा, भाये गुनगुना पानी सर्द हवाओं में घुली है,  ठंड की कहानी। पवन शीत से नहाये, झटके  अपने बाल ठंड से ठंडा हो जाये, सुर्ख ग़ुलाबी गाल। अलाव  आगे सब बैठे, लगे अच्छी आंच ठंड सजी है युवा बाला, दिखा रही नाच। शीत श्रृंगार सुशोभित,मन्द पवन के झौके हाड़ कपायें ठंड ऐसे,ज्यों…

कविता- “उपदेश का मर्म”

उपदेश देना बहुत सरल है अमल करना उतना कठिन कुछ उपदेश ऐसे भी है उसको मानना है सरल माता-पिता की नेक सीख बच्चों पर पड़ता संस्कार जीवन की पूंजी लेती है। नित्य सबेरे नया आकर  गुरुओं का उपदेश देता जीवन जीने की कला दोस्तो के उपदेश तो  दोनों दिशा में है चलता संगत गुण महादेव…

कविता – “उम्मीद का दीया”

हर अंधेरी रात के बाद, नया सबेरा आता है मन में सभी के,उम्मीद का दिया जलता है। सूरज की गर्मी से चलती, दिनचर्या है आगे शाम ढले जब आये रात,उजाला जब भागे। उम्मीद बढ़ाती जिंदगी,रोज सुबह की आस सुबह सबेरे चल पड़े , आये प्राण में  साँस।  रोज सबेरे नन्ही चिड़िया,अपनी चहक लगती अपनी से…

कविता- “ठंडी का मौसम”

ठंडी का मौसम आया, दिन- रात हुआ सर्द  सब ओढ़े मोटा दुसाला, मिटाये सर्द का दर्द। ऊनि वस्त्र से प्रीत जुड़े, ज्यों पवन  तन पड़े दिनकर की कर प्रतीक्षा, धूप से प्रीत यों बड़े। पूस माह में सुर्ख सर्दी, अकड़ाये सबके हाड़  भोर में तेवर दिखाए, जैसे पड़े तमाचा गाल। बच्चों के पास से जावे,युवा…

कविता- दर्पण

दर्पण नही छुपाता है, सीधी सच्ची बात जैसी है तस्वीर सामने,वही अक्स लाता इसके सामने झूठ, कभी नही टिक पाता अपने इस गुण से,  है सज्जन कहलाता। भाव सबके पहचाने, है दुःख इसे न भाता खुश में खुश हो जाये, चमक और बढ़ाता देख मुखड़ा दर्पण में, बाला खुश हो जाये सामने इसके रहने, मन…

कविता- सच्चा दोस्त

हर सुबह के बाद एक अच्छी शाम होना चाहिए,  जीवन में अपना एक सच्चा दोस्त होना चाहिए, दोस्त के संग  भावना की  सौगात होना चाहिए, जीवन में अपना एक सच्चा दोस्त होना चाहिए। मस्ती की बारिश में खुशियों के छीटे होना चाहिए, दोस्ती की रिमझिम बारिश में भी भीगना चाहिए, जीवन में नई उमंग दोस्तो…

कविता- महंगाई

खूब बढ़ रही महंगाई गरीबी बढ़ती जाए  हाय महंगाई तुझको क्या शर्म भी ना आए  मिट्टी की दीवारें, फूस छत जैसी की तैसी मैया का चश्मा है टूटा, वो सुधरा न जाए खाट सुतली भी टूटी, चादर सुकड़ा जाए खूब बढ़ रही महंगाई गरीबी बढ़ती जाए।। मशीनें है हाथ घटाते नहीं देते किसी का साथ …